संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जोरदार बहस देखने को मिली। राज्यसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस अभियान को लेकर विपक्ष के आरोपों पर तीखा जवाब दिया और अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बातचीत को लेकर एक बड़ा खुलासा किया।
विपक्ष की ओर से बार-बार यह सवाल उठाया जा रहा था कि भारत ने सीजफायर क्यों किया और उसमें अमेरिका, विशेषकर ट्रंप की क्या भूमिका थी। इस पर जवाब देते हुए विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा मैं विपक्ष से कहना चाहता हूं कि वे कान खोलकर सुन लें 22 अप्रैल से 16 जून तक प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच एक भी फोन कॉल नहीं हुआ।
जयशंकर ने विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए स्पष्ट किया कि सीजफायर का फैसला पूरी तरह भारत की रणनीति और सैन्य कार्रवाई के बाद का कदम था।
डॉ. जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका से हुए संपर्कों का हवाला देते हुए बताया कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर पाकिस्तानी हमले की चेतावनी दी थी। पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर पाकिस्तान कुछ करता है, तो भारत उसकी जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।
इसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली और एयरबेस को निष्क्रिय कर दिया गया।
जयशंकर ने कहा हमें फोन आए कि पाकिस्तान लड़ाई रोकना चाहता है। हमने साफ कर दिया कि कोई बातचीत DGMO चैनल से ही होगी। दुनिया में किसी नेता ने भारत से ऑपरेशन रोकने को नहीं कहा। ट्रंप और पीएम मोदी के बीच कोई कॉल नहीं हुई थी।
सिंधु जल संधि पर बोलते हुए डॉ. एस जयशंकर ने कहा यह एक असाधारण संधि है जहां भारत ने अपनी प्रमुख नदियों को पाकिस्तान में बहने दिया। लेकिन अब जब हमने इसे स्थगित किया है, तो पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन बंद करना होगा। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
राज्यसभा में जयशंकर के बयान के तुरंत बाद, लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप को झूठा नहीं कह पा रहे हैं। सभी जानते हैं कि वे चुप क्यों हैं क्योंकि अगर वे कुछ कहेंगे, तो ट्रंप सच्चाई सामने रख देंगे।
राहुल गांधी की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा राहुल गांधी ने संसद में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर उन्हें मज़ा आया। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऑपरेशन सिंदूर और महादेव कोई मजा लेने की चीज नहीं है, बल्कि भारत के शौर्य और बलिदान का प्रतीक है।